धर्मेन्द्र विह्वल

दोलालघाट : सुनकोशी आ इन्द्रावतिक मिलन

दोलालघाट पहुँचैतकाल दिनके करिव तीन बाइज गेल छलए । आइए हमरालोकैनकेँ दोलखा जिलाक मुख्यालय चरिकोट पहँुचबाक अइछ । रस्ता छै तँ पक्की पिच मुदा रस्ता विमार आ क्षतिग्रस्तसन लगैत अइछ । हालत अत्यन्त खराब, तएँ हमरासभकेँ यात्राहेतु कने समय बेसी व्यय भऽ रहल छलए । दोलालघाट अबैतअबैत जानकारी प्राप्त भेल रस्ताक हालत आगाँ आर खराब छै । हम तँ एम्हर अनेकोबेर आएल छी, मुदा एहि क्षेत्रमे पत्नी मुन्नीक ई पहिल यात्रा छैन । दोलालघाट नेपालऽक एक प्रसिद्ध पर्यटकीय गन्तव्य अइछ । एतऽ कोशीक दू सहायक नदी सुनकोशी आ इन्द्रावती मिलैत अइछ । भोट सँ आबऽबला भोटेकोशी बाह्रवीसे नामक स्थानमे सुनकोशीसँ मिलैत इएह नामसँ आगाँ बढैत अइछ आ दोलालघाटमे इन्द्रावतीके अपनामे समाहित करैत आगाँ बइढ जाइए । इएह कोशी रस्तामे तामाकोशी, लिखु, दूधकोशी नदीके अपनाभितर समावेश करैत चतरा पहुँचि कऽ अरुणमे मिलैए आ चतरा सँ सप्तकोशी कहबैए । चतरासँ पहिने अरुणमे तमोर नदी मिलिगेल रहै छै । ज्ञातव्य जे सप्तकोशीआ मिथिलाक सम्बन्ध अदौकाल सँ अन्यान्योश्रित अइछ ।

प्राकृतिक दृश्यावलोकन आ नदीक ताजा माछलेल दोलालघाट बेस प्रसिद्ध अइछ । एहि रस्ते यात्रा करैतकाल यात्रु कनेकोकाल एतऽ विलमि कऽ एतहुका माछ आ वातावरणऽक रसास्वादन करऽ चाहैत अइछ । मुदा हमरालोकैन ई रसास्वादन करबा सँ वञ्चित भेलौं । समयक चाप क्रमशः बइढ़ रहल छलए । हम मुन्नीकेँ कहलियैन–एखन आगाँ बढ़ल जाए, जँ समय अनुकूल रहल तँ घुरैतकाल एतहुका माछ खाएब ।
सुनकोशीक किनारेकिनार खाँडीचौर धैर हमसभ आगाँ बइढ़ रहल छलौं, दोलाघाट सँ कनेके आगाँ पड़ै छै वनदेउ नामक स्थान । एतऽ सिन्धुपाल्चोक आ काभ्रेपलाञ्चोक दू जिलाक सीमान मिलै छै अर्थात आब हमरालोकैन काभ्रेपलाञ्चोक जिला छोइड़ सिन्धुपाल्चोकमे प्रवेश केने छलौं । सुनकोशी नदीक किनारेकिनार । ओह! प्राकृतिक छटा आ घटाक वर्णन कोना कएल जाए ? हमसभ नदीक धारऽक विपरित आगाँ बइढ़रहल छलौं । नदीक दूनुकात पहाड़ आ एककातऽक पहाड़ऽक तलहट्टीमे नदी किनारमे रस्ता जाहिपर हमरासभक गाड़ी दौडि़रहल छलए । पहाड़मे गाछवृक्ष त छै मुदा सबठाम ई गाछवृक्ष जंगलक स्वरुप धारण कऽ सकबामे असफल बुझाइत अइछ । मुदा हरियालीमे कतौ कोनो कमी नै छै ।

हमसभ एहने प्राकृतिक दृश्यपान करैत काठमाण्डूसँ करिव ७९ किलोमीटरके यात्रा कऽ खाँडीचौर नामक स्थान पहुँचिचुकल छलौ । एतऽ सँ दूटा रस्ता फूटै छै, एकटा सिधे जाई छै बाह्रवीसे होइत नेपाल–चीन सीमानाका तातोपानी आ दोसर दायाँ घुइम कऽलामोसाँघु पुलपर सँ सुनकोशी पार करैत चरिकोट जाइत छै । हमसभ आब ४७ किलोमीटरक दूरीमे वसल चरिकोटके रस्तापर आगाँ बइढ़रहल छलौं आ उँचाइयो क्रमशः बइढ़रहल छलै । ओना खाँडि़एचौरमे साँझ भऽ गेल रहए । मुदा चरिकोटके रस्तामे अन्हारोमे हमरालोकैन दूबगली किछु देखबाक आ प्रकृतिक सुगन्ध बोध करबाक प्रयत्न कऽ रहल छलौं । ओम्हर चरिकोट सँ पत्रकार अनुज गोकर्ण भण्डारी लगातार फोनपर हमर यात्रा–अवस्थितिक मादे जानकरी लऽ रहल छलैथ । वास्तवमे ई यात्राक संयोजन उएह केने छैथ । ओना वयसमे ओ हमरा सँ छोट छैथ मुदा पत्रकारिता विषयक स्नातकोत्तर कक्षाक हमर सहपाठी । हमरा सँ वेस सिनेह रहै छैन ।

दोलखाक कालिञ्चोक आ भीमेश्वर

असलमे हमरालोकैनकेँ मूल गन्तव्य छलए कालिञ्चोक भगवति (३८४२ मीटर)क दर्शन । दोलखा जिलामे पड़ऽबला कालिञ्चोक स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटकीय स्थल अइछ । हमसभ कालिञ्चोक जेबालेल सन २०२२ क होली सँ दू दिन पहिने अर्थात वि.सं २०७९ क फागुन महिनाक १९ गते काठमाण्डूसँ प्रस्थान केने रही । दोलखा जिलामे कालिञ्चोकके अतिरिक्त भिमेश्वर स्थान सेहो महत्वपूर्ण आ चर्चित धार्मिक पर्यटकीय गन्तव्य अइछ । जिलाक मुख्यालय चरिकोटलगायतके स्थान जे नगरपालिकामे अवस्थित अइछ तकर नामे भीमेश्वरसँ जुडल अइछ–भीमेश्वर नगरपालिका । भीमेश्वरक सन्दर्भमे एक मान्यता अइछ–देशमे कोनो संकटापन्न अवस्थाक संकेत भीमेश्वर दैत छथिन । मान्यता अइछ जे जँ भीमेश्वरक मूर्तीमे पसिना आबए तँ देशमे कोनो संकट आएत या अनिष्ट हएत । भीमेश्वरकेँ पसिना एलाक बाद क्षमा पूजा करबाक प्रचलन अइछ ।

हमसब आई राइत चरिकोटेमे रहब । हमरालोकैन जखन चरिकोट पहुँचल रही, साँझऽक करिव सात वाइज गेल रहए । हम अनुज गोकर्णक निर्देशनकेँ लगातार पालन कऽ रहल छलौं । ओ जेना कहने रहैथ हम ओहिना कऽ रहल छलौं । अन्ततः हमर यात्राक विराम एकटा होटलऽक प्रांगणमे भेल जतऽ गोकर्ण स्वागतहेतु प्रस्तुत् छलैथ । कनेकालऽक बातचितऽक बाद गोकर्ण अपन घर चइलगेलैथ आ हमसभ भोजनऽक बाद विश्राम करबालेल गेलौं । काइल भोरे कालिञ्चोकदिसि जेबाक अइछ । राइतमे होटलमे भोजन करैतकाल होटल सञ्चालिका हमरासभऽक जिज्ञासापर कहने रहैथ–बड्ड उँचाईपर छै कालिञ्चोक । एतऽ सँ कम सँ कम १५०० मीटर बेसी उँचाई । ओत अक्सिजनके कमीके समस्या छै आ ककरोककरो बहुत समस्या भऽ जाइत छै से ध्यान राखब । काइल जाइतकाल लहसुन आ मिर्चाई सँगमे राइखलेब । काज लाइग सकैए । हमरालोकैन हुनकर सल्लाह मानबाक निर्णय करैत हुनके सँ कने लहसुन आ मिर्चाई मगलौं ।

चित्ताकर्षक कुरी गाम

दोसर दिन अर्थात २०८२ फागुनक वीसम दिन । भोर करिव सात वजेदिसि गोकर्ण गाडी लऽ होटल एलैथ । हमसभ तैयारे छलौं । आब गोकर्णक सँग हमसभ कालिञ्चोकऽक यात्रादिसि अग्रसर छलौं । चारिकोटसँ करीब १७ किलोमीटर दूर वसल कुरी बाजारधैर सड़क अइछ। जहिया हम गेल रही तहिया तँ ई सड़क कच्ची रहैक मुदा गोकर्णक अनुसार एखन ई रस्ता पक्की भऽ गेल छै । तहिओ सड़Þकपर जीप आ मोटरसाइकिल चलाओल जा सकैत छलै । शुष्क मौसममे मिनीबस सेहो उपलब्ध भ जाइत छलै । कतौकतौ वस देखबो केलियै । कुरी बाजार, एहि क्षेत्रक एक प्रमुख पर्यटकीय गन्तव्य मानल जाइत अइछ । करिव ३३०० मीटरक उँचाईमे अवस्थित ई वजार सम्भवतः जिलाक सबसँ नव वजार अइछ मुदा सर्वाधिक चर्चित आ व्यस्त । ई वजार एकहिसावे कालिञ्चोक यात्रालेल वेस क्याम्प (आधार स्थल)अइछ । एतऽ नीक होटल आ रेस्टुरेन्ट उपलब्ध अइछ । विदेशी शैलीमे वसल ई वजार देखबामे बड़ा आकर्षक अइछ । लाल, उज्जर, नीला, हरियर चदरा सँ छारल वजार देखबामे रंगीन लगैत अइछ । सामान्यतया कालिञ्चोक जाएबला यात्री वातावरणसँ सन्तुलन मिलेबाक उद्देश्य सँ एक राइत एतऽ बितबैत छैथ ।
केवलकार सँ कालिञ्चोककेँ शरणमे कुरी सँँ करीब १ घण्टा पैदलयात्रा (५०० मीटर चढ़ाइ)क बाद कालिञ्चोक भगवति स्थानपर पहँचल जा सकैत अछि.। मुदा आब चलबाक कोनो बाध्यता नै छै ।

केवलकारउपलब्ध छै । कनेक मूल्य दऽ एकर लाभ उठाओल जा सकैत छै । हमसभ चरिकोटसँ आएल रही, कुरीमे रहबाक आवश्यकता नै पड़ल मुदा कनेकाल विलमि वजार देखलौं आ ओतऽ सँ हमरासभऽक गाड़ी सिधे आगाँ जा केवलकार स्टेशनपर रुकल । एकटा बात महत्वपूर्ण बुझाएल जँ जँ उँचाई बइढ़ रहल छलै पहाड़ऽक रुपरंग परिवर्तितसन लाइगरहल छल । पिराउँछ खरपतारक रंगजकाँ पहाडऽक वनस्पति बुइझ पड़ल । मौसम शुष्कसन । हमसभ कनेकाल केवलकार स्टेशनपर रुकलौं । पारी एलाक बाद हमरालोकैन केवलकार चढ़लौं । एकर दूरी छोटे अइछ । करिव ५÷७ मिनटऽक यात्राक बाद हमरालोकैन ओहिपारऽक स्टेशनपर छलौ । गोकर्ण कहलैथ–एतऽ सँ करिव १५ मिनट चलऽ पड़त ।

हमसभ पैदल आगाँ बढ़लौं । कनिए आगाँ बढ़ल छलौं, एना लागल जेना मुन्नीकेँ किछु समस्या भऽ गेल होइन । बुझाएल जेनाहुनका दम फुलऽ लागल होइन । चलबामे कने समस्या बुइझ पड़लैन । बुझबामे कोनो भाङठ नै जे हुनका लेक लगबा (अक्सिजनक कमी)क समस्या सम्भावित छलैन । मुन्नी पीड़ाभावे कह लगलीह– आहाँसभ जाऊ । हमराबुते नै चलल हएत । शामद भगवतिकेँ इएह मञ्जर छैन । तखने गोकर्ण कहलैन–कनेकाल रुइक जाऊ आ कने पाछाँ चइल जाऊ, तकरबाद फेर आगाँ बढ़ब । आ से ठिके । गाकर्णक कहल उपाय अपनओलाक बाद मुन्नी ठिक छलीह ।
शीखरपर कालिञ्चोक : ने मन्दिर ने मुर्ती, खाली झण्डा आ घण्टी

मुन्नीकेँ कने ठिक भेलाक बाद हमसभ आगाँ बढ़लौं आ मन्दिर रहल स्थान पहुँचलौं ।पहाड़ऽक उपर समथलसन भूमि आ ताहिपर मन्दिरसन जगह । एत स्पष्टरुपेँ कोनो मन्दिर नै अइछ । भगवतिक स्थान अइछ । प्रत्यक्षरुपेँ एतऽ भगवतिक कोनो मूर्ति सेहो नै अइछ । एकटा छेटछिनसन कुण्ड छै, जाहिमे बारहोमास जल रहैत अइछ । भक्तसभइएह कुण्डकेँकालिञ्चोक भगवति कहि पूजैत छैथ । ओहि जगहसँ सबकिछु नीचा छै, आकाश, पहाड, नदी, वस्ती, मैदान सबकिछु नीचा देखाई छै । कालिञ्चोक मन्दिर अवस्थित पहाडसँ मनोरम रोलवालिंग पर्वत शृंखला आ मनोरम प्राकृतिक दृश्य देखल जा सकैत छै ।कालिन्चोककँे झण्डा आ घण्टी सँ सजाओल गेलजकाँ लगै छै । पूजाक क्रममेभक्तजन एतऽ झण्डा आ घण्टी चढबैत अइछ । एतऽ अनगिनत झण्डा आ घण्टी देखल जा सकैत अइछ । शिखरक संकीर्ण मुदा कनेक ढलानबला समतल भागपर खुजल आकाशक नीचाँ सजल भगवतिक पूजा महादेवऽक सँग कएल जाइत अइछ । एतहुका पुजारीक अनुसार एकटा किंवदंती अइछ जे एहि पवित्र स्थानपर मन्दिरक संरचना नै बनबाक चाही । पश्चिमदिसि जस्ताक छतबला मण्डप अइछ जाहिमे १०–१५गोटे बैस सकैत छैथ । पूबदिसि गणेशऽक मूर्ती । आकाश खुजल, उज्ज्वल आ सुन्दर छल ।

अनेक किंवदन्ती

किंवदंती छै, कालिञ्चोक भगवति काभ्रेके पलाञ्चोक आ काठमाण्डूक शोभा भगवतिलगायत७बहिन छैथ । धार्मिक, ऐतिहासिक आ प्राकृतिक महत्वेटा नै बल्कि पर्यटकीय महत्व राखऽबला कालिञ्चोक एक एहन महत्वपूर्ण जगह छै, जाहिपर दोलखा आ समग्र नेपालकेँ गर्व छै ।मानल जाइत छै जे आस्था आ विश्वासऽक सँग मागल जाए तँ भगवति सब मनोकांक्षा पुरा करै छथिन ।

कालिञ्चोकमन्दिरक सम्बन्धमे स्थानीय स्तरमे किछु किंबदन्ती प्रचलित छै । प्राचीनकालमे इएह रस्ते तिब्ब्त आवाजाही होइत छलै । एकबेर तिब्बतक कुतीसँ खासा होइत भेड़ा आनल जा रहल छल । एतऽ पहुँचलापर सातटाभेड़ा हेरा गेलै । तकरबाद चरबाहासभ अबीर, केशरी आ प्रसाद चढ़ेलक। तहिया सँ भेडासबकेँ हराएब बन्द भेलै । स्थानीयव्यक्तिक कहब छैन जे तकरबादेकालिञ्चोक भगवतिक पूजा शुरू भेल ।जानकारसभऽक मोताविक स्कन्द पुराणमे कामाचल गिरि, हिमवत खण्डमे हिमालय पर्वत आ कालिपुराणमे वर्णित कलिञ्जर वास्तवमे इएह कालिञ्चोक अइछ । हुनकालोकैनकँे अनुसार कालिञ्चोक ओ स्थान थिक जतऽ पार्वती तीन हजार वर्ष धैर तपस्या कऽ राक्षसकेँ माइर देलैन ।
कालिञ्चोक माताक आङनमे ठाढ़ भऽ पूव सँ पश्चिम धैरपहाड़क रेखा देखि एतऽ पहुँचबलासभकेँ स्वर्ग पहुँचलसन बुझाइत छै ।हमरा ओहने बुझाएल । मुन्नीकेँदेखलियैन, आब ओहो ठिक बुझेलीह । माताक दर्शनबाद ओहो उत्साहित छलीह । कनेकाल पहिनेक हुनकर पीडा जेना समाप्त भऽगेल होइन ।

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